Wednesday, September 12, 2018

स्लिपडिस्क क्या है ?



रीढ़ की हड्डियां आपस  में एक दुसरे से एक गद्दी से जुडी होती है,जिसे हम डिस्क कहते है!इसमें एक प्रकार का लचीला पदार्थ होता है ,जो हमें झटको से बचता है !जब कभी डिस्क में कोई नुकसान होता है तो ये पदार्थ लीक हो कर नस पर गिरता है तो नस  में दबाव होता है जिसके कारन हाथ या पैरो  में  सुनापन झनझनाहट खिचाव इत्यादि होते है !इस प्रकार से डिस्क का मटेरियल नस पर दबाव डालता है जिसे स्लिपडिस्क कहते है.!अक्सर लोग बाग़ समझते डिस्क एक हड्डी से दूसरे हड्डी पे स्लिप या फिसल गयी जिसको आम इंसान स्लिपडिस्क कहता है !वास्तव में रीढ़  की हड्डी के बीच का पदार्थ रिसकर नस पर दबाव लगता हैऔर मरीज़ विभिन्न लक्ष्ण दिखाए देते है मुख्यता L4-5 or L5-S1 या C 5-6 LEVEL पर MRI  में नज़र आता है

स्लिपडिस्क के प्रकार -

1[सर्वाइकल स्लिपडिस्क]

मुख्यता इसमें C5-6-7 LEVEL पर नज़र आता है जिसके कारन सिर ,गर्दन,कन्धे या हाथ में दर्द होता है ,जिसको अक्सर लोग सिर्फ सर्वाइकल रोग का नाम दे कर इलाज करते रहते है 

2 [थोरेसिक स्लिपडिस्क]

थोरैसिक डिस्क स्लिप रीढ़ की हड्डी के बीच के भाग में आस-पास से दबाव पड़ने पर होता है। हालांकि, इसकी होने की संभावनाएं बहुत कम है। इससे पीठ के मध्य और कंधे के क्षेत्र में दर्द होता है और यह टी1 से टी12 कशेरुका (Vertebrae) के क्षेत्र को प्रभावित करता है। कभी-कभी दर्द स्लिप डिस्क क्षेत्र से गर्दन, हाथ, उंगलियों, पैरों, कूल्हे और पैर के पंजे तक भी जा सकता है।

3 [लम्बर स्लिपडिस्क ]

लंबर डिस्क स्लिप रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में होती है, अक्सर चौथी और पांचवीं कशेरुका (Vertebrae) के बीच या पांचवी कशेरुका और सेक्रम (कमर के पीछे की तिकोने हड्डी) के बीच। इससे पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे, जांघ, गुदा/जननांग क्षेत्र (पेरिनियल तंत्रिका के माध्यम से) में दर्द होता है और पैर और/या पैर की अंगुली में भी जा सकता है।

 डिस्क के लक्षण - Slipped Disc Symptoms 

आपको आपकी रीढ़ की हड्डी के किसी भी हिस्से में स्लिप डिस्क हो सकती है (गर्दन से लेकर पीठ के निचले हिस्से तक) लेकिन पीठ के निचले हिस्से में यह सबसे आम है। रीढ़ की हड्डी, तंत्रिकाओं और रक्त वाहिकाओं का एक complex neurovascular system  है। स्लिप डिस्क तंत्रिकाओं और मांसपेशियों पर और इनके आस-पास असामान्य रूप से दबाव डाल सकती है।और विब्भिन प्रकार से प्रकट होता है 

स्लिप डिस्क के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं -


शरीर के एक तरफ के हिस्से में दर्द या स्तब्धता [सुन्नपन होना।
आपके हाथ या पैरों तक दर्द का फैलना[radiculopathy 

रात के समय दर्द बढ़ जाना या कुछ गतिविधियों में ज़्यादा दर्द होना।

1 standing posture खड़े होने या बैठने के बाद [after sitting]दर्द का ज़्यादा हो जाना।
2 थोड़ी दूरी पर चलते समय दर्द होना[claudication]
3 अस्पष्टीकृत मांसपेशियों की कमज़ोरी[myopathy]
4 प्रभावित क्षेत्र में झुनझुनी, दर्द या जलन[burning]

दर्द के प्रकार व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकते हैं। यदि आपको दर्द से स्तब्धता या झुनझुनी होती है जो आपकी मांसपेशियों को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है तो अपने चिकित्सक से सलाह लें।इसके लिए कोई इंटरवेंशनल पैन फिजिशियन  या न्यूरोसर्जन या स्पाइन स्पेशलिस्ट  से परामर्श करे !

स्लिप डिस्क का इलाज - 

स्लिप डिस्क का उपचार आमतौर पर आपकी असुविधा और अनुभव के स्तर पर निर्भर करता है।
*अधिकांश लोग चिकित्सक द्वारा बताये गए ऐसे व्यायाम करके स्लिप डिस्क के दर्द को सुधार सकते हैं जो पीठ और आस-पास की मांसपेशियों को मज़बूत बनाते हैं।
*केमिस्ट के पास मिलने वाली दर्द निवारक गोलियां लेने से और भारी चीज़ें न उठाने से स्लिप डिस्क के दर्द में राहत मिल सकती है।लेकिन यह समझदारी नहीं है 
*यदि दर्द निवारक गोलियां आपके लक्षणों पर प्रभाव नहीं डालती हैं तो आपके डॉक्टर आपको कोई अन्य दवाएं लेने के लिए भी कह सकते हैं। जैसे- मांसपेशियों के ऐंठन को राहत देने के लिए दवाएं;  muscle relaxants दर्द को दूर करने के लिए analgesics 
*अगर आपके लक्षण 6 सप्ताह में नहीं सुधरते या आपकी मांसपेशियों की गतिविधियों पर स्लिप डिस्क का प्रभाव पड़ता है तो आपके डॉक्टर आपको सर्जरी का उपाय भी दे सकते हैं। आपका स्पाइन  सर्जन पूरे डिस्क को हटाए बिना केवल डिस्क के क्षतिग्रस्त भाग को निकाल सकता है। इसे माइक्रोडिसकेक्टमी (Microdiskectomy)  or endoscopic discectomy कहा जाता है।अधिक गंभीर मामलों में, आपका डॉक्टर एक आपकी पहले वाली डिस्क को बदल कर एक कृत्रिम डिस्क लगा सकते हैं या डिस्क को निकालकर कशेरुकाओं को एक साथ मिला सकते हैं।जिसको fusion surgery  कहते है 


मिनिमल इनवेसिव तकनीक 

मिनिमल इनवेसिव तकनीक से चीरफाड़ रहित इलाज करते  हैं  मेडिकल उपचार से दर्द कम न हो, पैरों में कमजोरी आ जाए और मल मूत्र का विसर्जन प्रभावित हो तथा हड्डी खिसकना, गलना अथवा स्पाइन की कोई अन्य बीमारी हो तो सर्जरी ही कारगर होती है। उन्होंने कहा वैसे तो माइक्रोस्कोप और बिना माइक्रोस्कोप के सर्जरी होती है किंतु नयी विधा के रूप में transforaminal or interlaminar[easygo]  इंडोस्कोपिक डिस्केक्टॉमी  विकसित हुई है। इसमें 7 mm to  2 सेमी के चीरे से इंडोस्कोप की मदद से दबी हुई नस के ऊपर की हड्डी का कुछ हिस्सा व डिस्क निकाली जाती है जिससे नस का दबाव खत्म हो जाता है।इसमें मरीज़ को परमपरागत तरीके के बजाय छोटा सा चीरा जो की कुछ मिलीमीटर हो सकता है,अन्य ऑपरेशन के बजाय इसमें बेहोश भी नहीं करना पड़ता,लोकल एनेस्थीसिया xylocaine २%,स्किन को सुन्नन कर के नीडल को फ्लूरोस्कोपे में देखते हुए ,डिस्क वाली जगह पंहुचा जाता है,इसको निश्चित करने के लिए contrast इंजेक्शन डाला जाता है,इसके कारन डिस्क का रंग change हो जाता है ,फिर इसके बाद वायर जो की गाइड का काम करता है,ऊपर dilator sheath चढाई जाती है,फिर एण्डोस्कोप डाल कर रीढ़ के स्थान को देखा कर सम्बंधित खराबी को सही किया जाता है!
दूरबीन विधि से ज्यादातर मांसपेशियों और ऊतकों को नहीं निकाला जाता है इसलिए मरीज को आपरेशन के बाद रिकवरी में कम समय लगता है। मरीज को उसी दिन अथवा दूसरे दिन घर भेजा जा सकता है। इंडोस्कोपी द्वारा सभी मरीजों का इलाज संभव नहीं है। उपयुक्त मरीज का चुनाव लक्षणों व जांच रिपोर्ट पर निर्भर करता है। भविष्य में स्पाइन की अन्य बीमारियों का भी निदान संभव होगा। आपरेशन के बाद मरीज सीधे बैठ और चल सकता है। 10 से 15 फीसद मरीजों में दोबारा से स्लिप डिस्क के लक्षण आ सकते हैं, जिन मरीजों में ज्यादा समय से बीमारी हो या आपरेशन से पहले पैरों में कोई कमजोरी आ चुकी हो, उनमें कुछ लक्षण रह सकते हैं।



मिनिमल इनवेसिव तकनीक के फायदे-

*इसमें किसी प्रकार का चीरा नहीं लगता ! मिलीमीटर के छेद से सारा प्रोसीजर हो सकता है
*इसमें किसी प्रकार का चीरा नहीं लगता कुछ  मिलीमीटर के छेद से सारा प्रोसीजर हो सकता है

*लोकल एनेस्थीसिया या एपिडरल में सारा प्रोसीजर जाता है

*हॉस्पिटल में 24 घंटे रुकना होता है,
*मरीज़ अपने आप कुछ घंटो में अपना नित्य कर्म जैसे उठना बैठना चलना ,खाना पीना शुरू कर देता है.
*लम्बे समय तक किसी प्रकार की दर्द निवारक इंजेक्शन या टेबलेट्स खाने की जरुरत नहीं रहती
*साथ ही किसी प्रकार की एक्सरसाइजेज की जरुरत नहीं रहती

स्लिपडिस्क में क्या सावधानी रखे -

*ज्यादा लम्बे समय तक दवाई प्रयोग में न ले,
*अवांछनीय कसरत न करे
*उकडू या पालती न करे
*शौच वेस्टर्न स्टाइल का प्रयोग करे
* ज्यादा वज़न न उठाये
*ऑफिस या काम पर अपने बैठने का posture का ध्यान रखे
*केवल स्पाइन स्पेशलिस्ट डॉक्टर से परामर्श ले

सामाजिक भ्रान्ति -

अक्सर हमारे समाज में स्पाइन के इलाज, विशेष रूप से सर्जरी  को लेकर काफी तकरार  है !ज्यादातर डॉक्टर्स  जो की  सर्जरी की आधुनिक तकनीक से अनभिग है ,द्वारा मरीज़ को बेवजह डराया  जाता  की ,ऑपरेशन से आपको हमेशा के लिए लकवा ,मल ,मूत्र  का नियंत्रण जैसी समस्या  जिंदगी  भर रह सकती है ,जो की सत्य से परे है !आज के समय में एडवांस टेक्निक्स के आने से इस प्रकार की समस्या असंभव है ! लम्बे समय तक मरीज़ को बेड  रेस्ट बता कर ,साथ ही दर्द निवारक दवा दे कर हम मरीज़ की मूल समस्या का निवारण नहीं करते,बल्कि टेम्पररी  इलाज कर,उसके साथ खिलवाड़ करते है !

समय रहते यदि वक्त से बीमारी का इलाज हो जाये तो ,बवजह पैसा और स्वस्थ्य दोनों का नुकसान नहीं होता !


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